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इस जमाने में एक जमाना था

इस जमाने में एक जमाना था तब मेरी भी कहानी थी
जिसका सारा शहर दीवाना था वह मेरी ही दीवानी थी

मैं उसको जान कहता था, वह मुझको जहान कहती थी
मैं उसको पसंद करता था, वह मुझको पसंद करती थी
मैं उस पर मरता था, वह भी मुझ पर मरती थी
ना मैं इजहार करता था, ना वो इंकार करती थी
पर इश्क में भी करता था, इश्क वो भी करती थी

मैं उससे इजहार चाहता था, वह मुझसे इज़हार चाहती थी
ना मैं उसको बताता था, ना वह मुझे बताती थी
मैं उसका इंतजार करता था, वह मेरा इंतजार करती थी
बातें तो रोज हो जाया करती थी, पर वह बात नहीं होती थी
जो मैं उससे कहना चाहता था, वह मुझसे कहना चाहती थी

मैं उसका नाम लिखता था, वह मेरा नाम जपती थी
मैं उसको मजबूर करता था, वह मुझ को मजबूत करती थी
मैं हर दिन भूल करता था, वह हर दिन माफ करती थी
मैं उससे जिद करता था, वह मुझसे उम्मीद करती थी
मैं उसको याद करता हूं, वह मुझको याद करती थी

मैं उसको मोम कहता था, वह मुझको आग कहती थी
मैं उसको सागर कहता था, वह मुझको प्यास करती थी
मैं उसको खुशबू कहता था, वह मुझको एहसास कहती थी
मैं उसको शराब कहता था, वह मुझको मदहोश कहती थी
मैं उसका मस्ताना था, वह मेरी दीवानी थी

मैं उसको इशारे करता था, वह मुझको खत लिखती थी
मैं उसको फूल देता था, वह उसको कबूल करती थी
मैं उसको मिलने बुलाता था, वह हर बार आती थी
पर साथ में अपनी सखियों को भी लाती थी
सखिया तो बहाना था, मुलाकाते जरूरी थी

मैं उसको अंदाज कहता था, वह मुझको राज कहती थी
मैं उसकी तारीफ करता था, वह मुझ पर नाज करती थी
मैं उसको जीत कहता था, वह खुझको हार कहती थी
मैं उस दिन सब कुछ हारा था जिस दिन वह बेजान बैठी थी
मैं जिंदगी को पराग कहता था, वो जिंदगी को ख्वाब कहती थी

मैं उसकी कब्र पर जाकर महकते फूल चढ़ाता हूं
मैं उसके नाम का दीपक अपने दिल में जलाता हूं
उसी के नाम से रोशन होती है जिंदगी मेरी
और लोग कहते हैं, मैं अपना दिल जलाता हूं
मैं उसकी जान जलाता था, अब वह मेरा दिल जलाती है

जब-जब बादल बरसते हैं, उसकी याद आती है
जब जब कलियां खिलती है, उसकी याद आती है
उसकी यादें बड़ी गहरी, जो न दिल से जाती है
जाती है तो लगता है, जैसे जान जाती है
मैं उसे दिल से चाहता था, वह दिल को पागल कहती थी

जहां के लोग कहते हैं, वह तारों में रहती है
मेरी आंखें दिन रात, तारों पर रहती है
जब कोई तारा टूटता है तो उम्मीद जगती है
तब उम्मीद ही अपनी, मुझे जीत लगती है
बड़ा जिद्दी इरादा है, जिस से उम्मीद डरती है

तेरी चाहत मेरे दिल से कोई मिटा नहीं सकता
जगह दिल में जो खाली है, कोई भी भर नहीं सकता
यह माना तेरे बगैर बड़ा तन्हा अधूरा हूं
पर काले रंग पर दूसरा रंग चढ़ नहीं सकता
मैं काले रंग पर हंसता था, अब दुनिया मुझ पर हंसती है

इस जमाने में एक जमाना था तब मेरी भी कहानी थी
जिसका सारा शहर दीवाना था वह मेरी ही दीवानी थी

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7 Comments

बेहतरीन बहुत ही खूबसूरत और भावनात्मक वर्णन

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Pallavi

18-Jun-2022 09:18 PM

Nice post 😊

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jun-2022 05:46 PM

बेहतरीन रचना

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